Ye Ishq - A Romantic Poetry
this poetry is dedicated to someone very special in my life,
I wish ki kabhi aapne samjha hota is baat ko...
जो मैं सिर्फ तुमसे रखता हूं,
पा नही सकता इस ज़िन्दगी में तुम्हें
इसलिए आज इस पल में तुम्हारा हो जाने की ख्वाहिश रखता हूँ,
पर जानता हूँ तुम भी मजबूर हो,
बहुत से बेड़ियों में बंधी हो,
सब समझने की समझ रखता हूँ,
पर टूट जाता है कभी कभी ये इश्क़ मेरा,
जब उन हांथो में किसी और के नाम की मेहंदी की बात सुनता हूँ।
उस जिस्म पे मुझे अपना हक चाहिए,
हर अंग पर मुझे मेरा रंग चहिए,
सिर्फ एक रात या चंद लम्हो के लिए नही
मुझे वो रूह ताउम्र के लिए चाहिए,
पर तुम्हारी घबराहट भी समझता हूं,
कैसे दे दो वो हक़ मुझे जो किसी और का है
मैं तुम्हारी ये परेशानी भी जानता हूँ,
तो मेरी जान
ये जो जान है मेरी
मैं सिर्फ तुम्हारे नाम करता हूँ,
मेरी लकीरों में नही तुम,
फिर भी मैं तुमसे बेइंतहा इश्क़ करता हूँ।
इसलिए आज इस पल में तुम्हारा हो जाने की ख्वाहिश रखता हूँ,
पर जानता हूँ तुम भी मजबूर हो,
बहुत से बेड़ियों में बंधी हो,
सब समझने की समझ रखता हूँ,
पर टूट जाता है कभी कभी ये इश्क़ मेरा,
जब उन हांथो में किसी और के नाम की मेहंदी की बात सुनता हूँ।
उस जिस्म पे मुझे अपना हक चाहिए,
हर अंग पर मुझे मेरा रंग चहिए,
सिर्फ एक रात या चंद लम्हो के लिए नही
मुझे वो रूह ताउम्र के लिए चाहिए,
पर तुम्हारी घबराहट भी समझता हूं,
कैसे दे दो वो हक़ मुझे जो किसी और का है
मैं तुम्हारी ये परेशानी भी जानता हूँ,
तो मेरी जान
ये जो जान है मेरी
मैं सिर्फ तुम्हारे नाम करता हूँ,
मेरी लकीरों में नही तुम,
फिर भी मैं तुमसे बेइंतहा इश्क़ करता हूँ।
-Ajasha
Waah
ReplyDelete