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Saturday, May 04, 2019

रेलगाडी : Hindi Story

 रेलगाडी : Hindi Story

 रेलगाडी : Hindi Story

कुछ इन पटरियो से थे मैं और मेरी मोहब्बत,
साथ थे पास थे
पर दूरियां दरमियान,
मंजिल एक थी हमारी
रास्ते भी एक थे
पर फिर भी फासले बरकार,
रेलगाड़ी सी ज़िन्दगी बस भागे जा रही थी,
पहुँचना कहाँ है किसी को मालूम ही नहीं,
गम के स्टेशन रह रह के सामने आ जाते
ज़िन्दगी जब रुकती इन स्टेशनों पर तो लगता कब आगे बढ़ेगी ये गाड़ी और
खुशी की हसीन वादियां देखने को मिलेगी,
पर वो वादियां एक झरोखे से आती
और फिर सामने पसर जाते
बेबसी के जंगल और मजबूरी के पर्वत,
और इस रेलगाडी के नीचे पिसते हम,
और अचानक एक मोड़ पर
वो कुछ ऐसे जुदा हुई मानो हम कभी साथ थे ही नही,
नए रास्तों और नए हमसफ़र की तलाश में वो हाथ और साथ छोड़ के आगे निकल गया,
यूं तो साथ मुझे भी नसीब हुआ किसी और का,
पर जो रास्ता तय किया था उसके साथ,
वो सुकून था उसके साथ,
वो दोबारा मिला नही,
हां हम इन पटरियो से थे
पास थे साथ थे
पर मिलन मंजूर नही ।।
-Ajasha

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