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Sunday, August 12, 2018

SAD POETRY : EK BAAT PUCHHNI THI ?



 SAD POETRY : एक बात पूछनी थी …?



एक बात पूछनी थी

क्या मिला हमारा रिश्ता तोड़ कर ?

क्या हासिल कर लिया उसके साथ रिश्ता जोड़ कर ?

दुख मुझ तक होता तो चुप रह लेता मैं

तुमने दुख सबको दिया है

आखिर क्या चाहती थी तुम

जब साथ थे हम

जैसा तुमने चाहा वही हुआ

जैसा बोला तुमने मैंने माना

हर हालात में तुम्हारा साथ दिया

हर बंंदिशो से आज़ाद रखा तुम्हे

क्या कमी रह गई थी मुझसे

जाना ही था तो जाती सामने से बोल कर,

एक बात पूछनी थी

क्या मिला बेवफा बन कर ?



दूरी इतनी मुश्किल हो गई तुम्हारे लिए

शायद ये इश्क़ था ही नही,

कुछ वक्त में नया साथी खोज लिया

क्योंकि तुम्हे प्यार कभी था ही नही,

तुम भी खुदगर्ज़ निकली

तुम्हे जान समझा अपनी

तुम तो सिर्फ मतलबी निकली,

खैर अब कोई गिला नही है

तू आज़ाद है जिसके साथ रहना है रह

पर कम से कम झूठी कहानी ना कह,

तू आजाद है अपने हर अरमान पूरे कर

एक बात पूछनी थी

क्या मिला मुझे बर्बाद कर ?



दिल से चाहा था तुझे

अपना सब कुछ मान लिया था,

सबसे खास थी तुम

हर वक़्त बस तुम्हारे लिए जिया था,

सब भूल गई,

मेरी हर कुर्बानी,

मेरी हर जिम्मेदारी,

सब पानी मे बहा दिया था,

खैर अब तेरी जरूरत नही

तुझे एक बुरा सपना समझ भूलाना है,

तू सब कुछ थी कल

आज तू किसी गैर से ज्यादा कुछ नही,

मेरी हस्ती को तोड़ दे

उतनी तेरी औकात नही

अब फर्क नही पड़ता

तू जिये या मरे घुट घुट कर

एक बात पूछनी थी

क्या मिला तुम्हे अपनी इज़्ज़त खो कर ?

©Ajasha

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