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Saturday, July 14, 2018

LOVE POETRY : KAL RAAT NIND NAHI AAI...

LOVE POETRY : कल रात नींद नही आई

kal raat nind nahi aai

कैसे बताऊ तुम्हे की कल रात नींद नही आई

तुम मेरे घर आ रही हो

वो नज़ारा सोच कर मेरी आँखें भर आईं,

कब से इंतेज़ार था इस लम्हे का

कितना बेसब्र था तुम्हारे दीदार का

क्या क्या सपने संजोए मैंने

वो सब कैसे बताऊ किसी को

शर्मशार हो जाता हूँ

अपनी ही ख्वाहिशों को सोच के,

एक परी के इंतेज़ार में घड़ी भी है भरमाई

तुम्हे कैसे बताऊ की कल रात नींद नही आई ,

सूरज से पहले उठ चुका हूं

पंछियों को घोंसलों से निकलता देख रहा हूँ

ये पल है कि कटता ही नहीं

ये दूरी है कि मिटती भी नहीं

एक एक पल सदियों सा लग रहा है

हर बीतता पल

तुम्हे मेरे पास ला रहा है,

अपने मकान को सजा रहा हूँ

हर पत्थर , हर कोना चमका रहा हूँ

ना भूक लग रही है ना कोई प्यास है

जल्दी से तुम्हे देख लूं बस इसकी ही आस है,

गुजरता हर लम्हा मेरी बेचैनी बढा रहा है

तुम्हे देख कर क्या होगा हाल मेरा

ये सोच सोच कर दिल बैठा जा रहा है

आखिर वो लम्हा भी आगया

दरवाजे पे खड़ी हो तुम

तुम्हे सामने देख दिल थम सा गया है, आंखे भर आईं है

आज खूब हँसोगी तुम ये जान के

की मेरी जान कल रात मुझे नींद नही आई है ।

©ajasha

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