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Monday, July 16, 2018

POETRY ON FAMILY :PARWAAH KARTA HUN TERI...

POETRY ON FAMILY : परवाह करता हूँ तेरी


हमारा रिश्ता बहुत करीब है मेरे दिल के

खून का रिश्ता न सही ये रिश्ते है दिल के

तू बच्चो जैसा है मेरे लिए

तुझमे भोलापन है

तू मासूमियत से भरी हुई है

दिल तेरा नाजुक है कांच जैसा

कैसे किसी को हक़ दे दूं इसे तोड़ने का

आखिर तू परी है मेरी

इसलिए परवाह करता हूँ तेरी |

जानता हूँ काबिल हो गई है तू

अपना ख्याल खुद रख सकती है

जिंदगी के फैसले खुद ले सकती है,

भरोशा खुद से ज्यादा है तुझपे

पर डर तो रहता है ना बच्चा

दुनिया की बुरी नज़र ना पड़े तुझपे,

दुनिया तुझ जैसी साफ दिल वाली नहीं

यहां तरह तरह के लोग है

सिर्फ अच्छे लोग मिले ये जरूरी नही,

इसलिए तेरे लिए फिक्र रहती है मेंरी

दुनिया से बचा के रखना है तुझे

इसलिये परवाह करता हूँ तेरी ।

जिंदगी भर तेरा ख्याल रख सकूँ

इस काबिल नही मैं

एक अनजान आएगा जो ले जाएगा तुझे,

वो अनजान मुझसे ज्यादा खास हो जाएगा

मैं तुझसे दूर , वो तेरे दिल के पास हो जाएगा,

तेरे बिन जीना होगा मुझे,

तुझे देखने के लिए भी इजाजत लेनी होगी

तू दूर चली जायेगी पर मेरा दिल तेरे पास होगा

ये बात डराती है मुझे

की आखिर अपनी बहन से मिलने पर पाबंदी होगी,

जब तक पास है तब तक खुशी चाहता हूं तेरी

क्या करूँ बहन

कितना भी समझा लूं मन को

दिल फिर भी परवाह करता है तेरी ।

©Ajasha

5 comments:

  1. Thank you bhai from the bottom of my heart……thanx a lot

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  2. Bhaiya yr….mmmuuaahhhh😍😍😘😘😘😘

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