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Wednesday, July 11, 2018

KABHI SOCHA HAI TERE BIN KAISE JI RAHA HUN ?

Hello World,
I write to express my feelings and this poem is very close to my heart.
KABHI SOCHA HAI is a sad poetry. this poetry is all about broken heart. 

kabhi socha hai sad poetry


SAD POETRY : कभी सोचा है ?

कभी सोचा है तेरे बिन कैसे जी रहा हूं ?

मेरी दुनिया थी तुम

मेरी हर खुशी हर गम थी तुम

मेरी सुबह मेरी शाम थी तुम

ना जाने कहाँ खो गए तुम

कैसे बताऊं तुम्हे की कैसे जी रहा हूँ

कैसे बयान करूँ अपना हाल,

अपने हर ख्याल में तुम्हे सोच होता हूँ बेहाल,

कभी सोचा है कि मैं कैसै ये दर्द सह रहा हूँ ।

तुम आगे बढ़ गई अपनी जिंदगी में

कोई तरीका मुझे भी बताओ,

नही रहना अब अंधेरों में

मुझे भी जीना है

अब मेरी यादों में आके यूं ना सताओ,

तुम्हें क्या पता मैं यहाँ क्या क्या देख रहा हूं

कभी सोचा है तुमने की मैं कैसे जी रहा हूँ ?

©ajasha

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