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Thursday, July 19, 2018

LOVE POETRY : IS KAABIL NAHI MAI...


LOVE POETRY :  इस काबिल नही मैं…

तेरी तारीफ कर पाऊं

तुझे अपने शब्दो मे बता पाऊं

तेरे आंखों का काजल बन पाऊँ

तेरा हाथ थाम पाऊँ

तेरी हँसी का कारण बन पाऊ

इतना खुशकिस्मत नही मैं

तू रानी है मेरे दिल की

पर तेरे काबिल नही मैं ।

तू शहजादी है अपने परिवार की

तेरी हर ख्वाहिश पूरी होती है,

सबकी चहेती है तू

सबके मन मे बसती है,

बहुत अंतर है हम दोनों में

कपड़े हो या खाना सब बहुत अलग है

तू होटलो की शान है

तेरे कपड़े आलीशान है

मैं होटलो से अनजान

मुझे है ढाबे के खाने की पहचान

कपड़े भी मेरे बेजान,

छोटा सा ख्वाब भी नही देख सकता मैं

तेरे ख्वाब पूरे कर पाऊं

इस काबिल नही मैं ।

तुझसे इश्क़ यूँही रहेगा

तुम किसी की भी हो जाओ

ये दिल तुम्हारा ही रहेगा,

तुम मेरी हो पाती

ये ख्वाब अब बस एक ख्वाब ही रहेगा,

चाह के भी तेरा हो नही सकता मैं

इस ज़िन्दगी में तो तेरे काबिल नही मैं ।

©ajasha

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